Shlok On Vasant Panchami In Sanskrit
बसंतपञ्चम्यां सर्वजगतां बहुत्वे विद्यमाना, वसन्तस्य प्रारंभे आस्ते। भारते बसंतरितौ मुख्यं रूपेण पञ्चम्यां पूजा क्रियते। बसंतपञ्चमी हिन्दू कैलासे गिरिक्षेत्रे नागर्यामाशुकुले भरतखण्डे सन्ध्यायां सन्ध्यायां सन्ध्यायां सन्ध्यायां सन्ध्यायां सन्ध्यायां सन्ध्यायां सन्ध्यायां सन्ध्यायां सन्ध्यायां सन्ध्यायां सन्ध्यायां सन्ध्याया बसंतपञ्चमी इत्युक्ता।
वसन्तपञ्चम्यां सूर्योदयकाले उदयकाले पूजाक्रियाः प्रारंभाः सन्ति। प्रदोषकाले च मा भक्तियुक्ताः प्रयागे स्नानाय योग्या विद्यन्ते। एतानि तिथयः योग्याः योग्या इत्युक्ताः वसन्तपञ्चम्याः, प्रदोषकाले सूर्योदयात्प्रारंभाः क्रियाः इत्युक्ताः।
बसंतपञ्चमी एकं भारतीयः हिन्दू पर्वं सन्ति, ज्योतिष्यात् माघः मासः योज्यते, तदा षष्ठीति पञ्चमी। सन्ध्यामध्याह्नयोः पूजा क्रियते।
सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम्।
देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना:।।
भावार्थः
मेरा वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती को नमस्कार! इनकी कृपा से मानव देवता जैसा बन जाता है।
शारदा शारदाभौम्वदना। वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रिया तू।
भावार्थः
शरद काल में उत्पन्न कमल के समान मुखवाली और सब मनोरथों को देने वाली मां शारदा समस्त समृद्धियों के साथ मेरे मुख में सदा निवास करें।
वसंतपञ्चमी
आशास्महे नूतनहायनागमे भद्राणि पश्यन्तु जनाः सुशान्ताः।
निरामयाः क्षोभविवर्जितास्सदा मुदा रमन्तां भगवत्कृपाश्रयाः।।
भावार्थः
आप सब को और आप के परिवार को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये। मैं ईश्वर से आपके उज्जवल भविष्य और हमारे सम्बन्धो में वृद्धि की कामना करता हूँ।
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तु ते।।
भावार्थः
हे महा भाग्यवती, ज्ञानदात्री, ज्ञानरूपा कमल के समान विशाल नेत्र वाली सरस्वती! मुझे विद्या दो, मैं आपको नमस्कार करता हूँ।
पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्न: सरस्वती।
प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या।।
भावार्थः
बुद्धिरूपी सोने के लिए कसौटी के समान सरस्वती जी, जो केवल वचन से ही विद्धान् और मूर्खों की परीक्षा कर देती है, हमलोगों का पालन करें।