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Athava Yoginaamev kule bhavati dheemataam Shlok Meaning, Bhavarth, Anuvaad

 श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय 🕉

 [अध्याय 6 – ध्यानयोग ]

श्र्लोक ४२

अथवा योगिनामेव कुले भवति धीमताम् |

एतद्धि दुर्लभतरं लोके जन्म यदीदृशम् ॥42॥

शब्दार्थ

 (अथवा) अथवा 

(धीमताम्) ज्ञानवान् 

(योगिनाम्) योगियोंके 

(कुले) कुल में 

(भवति) जन्म लेता है। 

(एव) वास्तव में 

(ईदृशम्) इस प्रकारका

 (यत्) जो 

(एतत्) यह 

(जन्म) जन्म है सो

 (लोके) संसारमें

 (हि) निःसन्देह

 (दुर्लभतरम्) अत्यन्त दुर्लभ है।

अनुवाद:- 

अथवा वैराग्यवान पुरुष उन लोकों में न जाकर ज्ञानवान योगियों के ही कुल में जन्म लेता है, परन्तु इस प्रकार का जो यह जन्म है, सो संसार में निःसंदेह अत्यन्त दुर्लभ है।

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