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उसकी मूट्ठी गर्म करो, फिर तुम्हारा काम हो जाएगा Sanskrit Anuvaad, Translation
उसकी मूट्ठी गर्म करो, फिर तुम्हारा काम हो जाएगा। इसे संस्कृत में कैसे कहेंगे? या संस्कृत में कैसे लिखेंगे? उसकी मूट्ठी गर्म करो, फिर तुम्हारा काम हो जाएगा। यहाँ पर संस्कृत में अनुवाद करके बताया गया है कि उसकी मूट्ठी गर्म करो, फिर तुम्हारा काम हो जाएगा। को संस्कृत में कैसे लिखेंगे? Heat his fist, then your work will be done. Sanskrit Anuvaad, Sanskrit Translation, How to write in Sanskrit? How to say in Sanskrit? Sanskrit Anuvaad उत्कोचं तस्मै देहि तेन तव कार्यं सेत्स्यति। Sanskrit Transliteration Utkochan tasmai dehi ten tav karyam setsyati. I hope you would like the article. Please share your views via comment section
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मनोकामना पूर्ति योग कब होता है? कैसे मनोकामना पूर्ण करे? लाभ DailyHomeStudy Manokamna purti Yog
कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जायेगा. हिन्दू धर्म के अनुसार कुछ ऐसे योग होते है व कुछ ऐसे समय होते है कि जब कोई भी कार्य करे वह अवश्य सफल होता है. ऐसे समय को मंत्रसिद्धि योग या मनोकामना-सिद्धि योग कहते है. मनोकामना पूर्ति योग कब होता है? 👉🏻 अगर अशांति मिटानी है तो दोनों नथुनों से श्वास लें और ‘ॐ शान्ति:…… शान्ति:’ जप करें और फिर फूँक मार के अशांति को, बाहर फेंक दें | जब तारे नहीं दिखते हों, चन्द्रमा नहीं दिखता हो और सूरज अभी आनेवाले हों तो वह समय मंत्रसिद्धि योग का है, मनोकामना-सिद्धि योग का है | मनोकामना पूर्ति का लाभ, फ़ायदे 👉🏻…
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Tadvid’dhi praṇipātēna paripraśnēna meaning in Sanskrit| DailyHomeStudy
Tadvid’dhi praṇipātēna श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय से लिया गया है. अध्याय ४ को ज्ञानकर्मसन्यासयोग कहा गया है. यहाँ पर इस श्लोक का हिंदी में अनुवाद, English transliteration के साथ दिया गया है. हम आशा करते है इससे आपको लाभ होगा. श्रीमद्भगवद्गीता [ अध्याय 4 – ज्ञानकर्मसन्यासयोग ] तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया |उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिन: ॥34॥ [ अध्याय 4 – ज्ञानकर्मसन्यासयोग ] श्र्लोक 34 Hindi Translation Word by Word यहाँ पर संस्कृत श्लोक का हिंदी में एक-एक शब्द का अनुवाद दिया गया है. शब्दार्थ तत—सत्य; विधि—सीखने की कोशिश करो; प्रणिपतेन—एक आध्यात्मिक गुरु के पास जाकर; परिप्रष्णेन—विनम्र पूछताछ से; सेवा – सेवा प्रदान करके; upadekṣhyanti– प्रदान कर सकते हैं; ते—तुम्हारे लिए;…
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Sanskrit Months संस्कृत मासानां DailyHomeStudy
एक वर्ष में 12 महीने होते है. उन्हें संस्कृत में क्या कहते है? संस्कृत भाषा में 12 महीनो के क्या नाम है? What is Sanskrit Name for January, February, March, April, May, June, July, August, September, October, November, December. संस्कृत मासानां (Sanskrit Months) भारतीयवर्षानुसारं मासानां नामानि क्रम संस्कृत महीनों के नाम In English
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Seasons in Sanskrit | DailyHomeStudy
What is called Season in Sanskrit? How to say Season in Sanskrit? Season Meaning in Sanskrit, Season in Sanskrit ऋतू There are 6 seasons in Hindu Sanatan Sanskriti. हिन्दू सनातन धर्म के अनुसार ६ ऋतुए है. जिनके नाम इस प्रकार है भारतीयवर्षानुसारं ऋतूनां नामानि वसन्तः ग्रीष्मः वर्षा शरद् हेमन्तः पौषः फाल्गुनः कौन सी ऋतू किस महीने में आती है? यह जानकार नीचे दी गयी है. भारतीयवर्षानुसारं ऋतूनां नामानि क्रम ऋतु के नाम महीनों के नाम
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हिंदू शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध कैसे करे?DailyHomeStudy
🚩हिंदू शास्त्रों में श्राद्ध के बारे में क्या कहा है- करना चाहिए या नहीं❓ कई बार ऐसा होता है कि लोग यह सोचकर परेशान होते है कि उन्हें श्राद्ध करना है या नहीं. और यदि उन्हें श्राद्ध करना है तो कैसे करे? क्या पंडित से श्राद्ध करवाना आवश्यक है? यदि हम पंडित से श्राद्ध नहीं करवा सकते तो क्या हम स्वयं श्राद्ध कर सकते है? यदि स्वयं श्राद्ध करना है तो किस विधि से और कैसे करना है? यहाँ हमने पूरी जानकारी दी है. श्राद्ध कैसे करें? 🚩श्राद्धकर्म से देवता और पितर तृप्त होते हैं और श्राद्ध करने वाले का अंतःकरण भी तृप्ति-संतुष्टि का अनुभव करता है। बूढ़े-बुजुर्गों ने हमारी…
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Importance of Thoughts in Hindi
क्या आपने कभी सोचा है की विचारो का क्या महत्व है? क्यों कहा जाता है कि विचार अच्छे होने चाहिए? ऐसा क्या बदलाव आ सकता है केवल सोचने से? क्या आपको पता है केवल और केवल विचार आपका सम्पूर्ण जीवन बदल सकते है. विचारों का महत्व -देने की भावना -विचार मात्र कल्पनाओ का एक उभार न हो कर एक शक्तिशाली पदार्थ है । उसकी गति तथा क्षमता भौतिक शक्तियों से अधिक है । इसे सूक्ष्म भौतिकी कहा जाता है । इसे अध्यात्म अतिभौतिक (supper physical ) भी कहा जाता है । -आग तथा बिजली की ऊर्जा केवल भौतिक पदार्थों को गर्म वा नर्म करती है तथा उनके स्वरूप को बदलती…
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prayatnaadyatamaanastu yogee Shlok Meaning, Anuvad, Bhavarth, Lyrics
🕉श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय 🕉 [अध्याय 6 – ध्यानयोग ] श्र्लोक ४५ प्रयत्नाद्यतमानस्तु योगी संशुद्धकिल्बिष: | अनेकजन्मसंसिद्धस्ततो याति परां गतिम् ॥45॥ शब्दार्थ:- (तु) इसके विपरीत (यतमानः) शास्त्रा अनुकुल साधक जिसे पूर्ण प्रभु का आश्रय प्राप्त है वह संयमी अर्थात् मन वश किया हुआ प्रयत्नशील(प्रयत्नात्) सत्यभक्ति के प्रयत्न से (अनेकजन्मसंसिद्धः) अनेक जन्मों की भक्ति की कमाई से (योगी) भक्त (संशुद्धकिल्बिषः) पाप रहित होकर (ततः) तत्काल उसी जन्म में (पराम् गतिम्) श्रेष्ठ मुक्ति को (याति) प्राप्त हो जाता है। अनुवाद:- परन्तु प्रयत्नपूर्वक अभ्यास करने वाला योगी तो पिछले अनेक जन्मों के संस्कारबल से इसी जन्म में संसिद्ध होकर सम्पूर्ण पापों से रहित हो फिर तत्काल ही परमगति को प्राप्त हो जाता है।
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Paarth naiveh naamutr vinaashastasy vidyate Meaning, Bhavarth, Anuvad, Full Shlok
🕉श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय 🕉 [अध्याय 6 – ध्यानयोग ] श्र्लोक ४० श्रीभगवानुवाच | पार्थ नैवेह नामुत्र विनाशस्तस्य विद्यते | न हि कल्याणकृत्कश्चिद्दुर्गतिं तात गच्छति ॥40॥ शब्दार्थ (पार्थ) हे पार्थ! (वास्तव में वास्तव में पथ भ्रष्ट साधक (न) न तो (इह) का बैक्टीरिया (न) न (अमुत्रा) वहां का शिशु है। (तस्य) उसका (विनाशः) ही (विद्याते) गो (हि) निसंदेह (कश्चित) कोई भी व्यक्ति जो (न कल्याणकारी) शब्द स्वांस तक मराडा से आत्म कल्याण के लिए कर्मयोगी है जो योग भ्रष्ट है। है (तात) हे प्रिय तो (दुर्गतिम्) दुर्गति को (गच्छति) गुण प्राप्त है। श्लोक का प्रमाण अध्याय 4 श्लोक 40 में भी। भावार्थ: – गीता जी ने इस श्लोक में 40 में…
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Kalyāṇa puṇyākr̥taṁ lōkānubhūti: Samā Shlok Meaning, Bhavarth, Anuvaad
🕉श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक स्वाध्याय 🕉 [अध्याय 6 – ध्यानयोग ] श्र्लोक ४१ कल्याण पुण्याकृतं लोकानुभूति: समा: | शुचिनां श्रीमतं गे योगभ्रष्टोऽभिजायते ॥41॥ शब्दार्थ प्रप्या—प्राप्त; पूण्य-कीताम—पुण्यों का; लोकान – निवास; उष्ट्वा—निवास के बाद; अष्टवती—अनेक; समी—उम्र; शुचिनाम – धर्मपरायणों का; श्री-मातम—समृद्धों का; गेहे—घर में; योग-भ्रष्टा:—असफल योगी; अभिजयते—जन्म लेना; अनुवाद:- धर्मियों के लोक को प्राप्त करने और अनन्त वर्षों तक वहाँ रहने से, योग से गिरा हुआ व्यक्ति पवित्र और समृद्ध के घर में पैदा होता है।