Poem On Hindi In Hindi | DailyHomeStudy
तेरी भाषा मेरी भाषा अपनी भाषा हमारी भाषा सबकी भाषा है ये हिंदी
छोड़ो अब ये गुलामी
अपना लो अब वापिस हिंदी
सजा लो माथे की बिंदी
उठो हे हिन्दुस्तानी !
उठो हे सनातन धर्मी !
राज वापिस दिला दो अब hindi को
राज वापिस दिला दो हिंदी को
आसमान में उड़ते पंछी बोले
सागर की लहरे बोले
पेड़ो के पत्ते बोले
बारिश की रिमझिम बूंदे बोले
सर सर करती हवा बोले
रात का अँधेरा बोले
चाँद की चांदनी बोले
सूर्य की पहली किरण बोले
राज वापिस दिला दो हिंदी को
राज वापिस दिला दो हिंदी को
अतिथि बनकर जो आई थी
राज चला रही है अपना
छोटे से कोने में पड़ी है हिंदी
बहनों संग ले रही सांसे
मराठी, तमिल, तेलुगू, बंगला, उड़िया, पंजाबी
दिला दो सबको उनका हक
राज वापिस दिला दो हिंदी को
राज वापिस दिला दो हिंदी को
बड़े दिलवाली है ये हिंदी
सबको मिलता उनका स्थान
हर शब्द को खुद में समा लेती
पता ही न चलता किस भाषा का है ये शब्द
हर शब्द लगता हिंदी का ही परिवार
घुल मिल जाता हिंदी में जैसे हो उसी का हिस्सा
बड़े दिल वाली है ये हिंदी
भारत के माथे की बिंदी है ये हिंदी
भारत का दिल है ये हिंदी
भारत के दिल की रानी है ये हिंदी
राज वापिस दिला दो हिंदी को
राज वापिस दिला दो हिंदी को
कस लो अपनी कमर
राज दिलाना है हिंदी को
बहनों संग हक दिलाना है
उठ खड़ा हुआ है अब हिन्दुस्तानी
उठ खड़ा हुआ है अब सनातनधर्मी
राज चलेगा अब हिंदी का
चहुँ ओर बोलबाला होगा अब हिंदी का
चाहे स्कूल हो या कॉलेज
दफ्तर हो या कार्यालय
हवा में हो या जमीन पर
राज चलेगा अब हिंदी का
मात्रभाषा है हिंदी तो क्यों दूजा दर्जा
पहला दर्जा होगा अब हिंदी का
तेरी भाषा मेरी भाषा अपनी भाषा हमारी भाषा सबकी भाषा है ये हिंदी वतन के माथे की बिंदी है ये हिंदी