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Poem On Hindi In Hindi | DailyHomeStudy
तेरी भाषा मेरी भाषा अपनी भाषा हमारी भाषा सबकी भाषा है ये हिंदी छोड़ो अब ये गुलामी अपना लो अब वापिस हिंदी सजा लो माथे की बिंदी उठो हे हिन्दुस्तानी ! उठो हे सनातन धर्मी ! राज वापिस दिला दो अब hindi को राज वापिस दिला दो हिंदी को आसमान में उड़ते पंछी बोले सागर की लहरे बोले पेड़ो के पत्ते बोले बारिश की रिमझिम बूंदे बोले सर सर करती हवा बोले रात का अँधेरा बोले चाँद की चांदनी बोले सूर्य की पहली किरण बोले राज वापिस दिला दो हिंदी को राज वापिस दिला दो हिंदी को अतिथि बनकर जो आई थी राज चला रही है अपना छोटे से कोने…