Speech On Lala Lajapt Rai In Hindi | DailyHomeStudy
“पराजय और सफलता कभी कभी विजय की और जरुरी कदम होते है।”
“दूसरों पर विश्वास न रखकर स्वंय पर विश्वास रखो। आप अपने ही प्रयत्नों से सफल हो सकते हैं, क्योंकि राष्ट्रों का निर्माण अपने ही बलबूते पर होता है।
लाला lajpat rai जी की कही हुई quotes आज के समय में भी उतनी ही चरितार्थ होती हुई प्रतिट होती है जितनी उस समय जब उन्होंने कही थी। उनके विचारो पर चलकर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में ऊँचाइयों को छु सकता है।
लाला लाजपत राय एक स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार और लेखक थे। उन्हें ‘पंजाब केसरी’ या ‘पंजाब का शेर’ के रूप में जाना जाता है। लाला लाजपत राय ने सक्रिय रूप से स्वदेशी के लिए प्रचार किया और भारत और विदेशों में आत्मनिर्भरता के संदेश का प्रचार किया। उन्होंने 1921 में लाहौर में Servants of the People Society’ की भी स्थापना की, जिसने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय काम किया।
लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को फिरोजपुर जिले के धुडिके गांव में एक पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता मुंशी राधा कृष्ण जी, फारसी और उर्दू के महान विद्वान थे, जबकि उनकी मां एक धार्मिक महिला थीं। लाला जी को बचपन से ही उनके परिवार से नैतिक मूल्यों की शिक्षा मिली थी। हिंदू विचारों और हिंदू धर्म में उनकी आस्था उनके पारिवारिक वातावरण से पैदा हुई थी
1870 के दशक के अंत में, उनके पिता को रेवाड़ी स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा Government Higher Secondary School, रेवाड़ी, पंजाब से की। वहां उनके पिता उर्दू शिक्षक थे।
1880 में लाजपत राय ने कानून की पढ़ाई के लिए लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज में प्रवेश लिया। कॉलेज में रहते हुए, वह लाला हंस राज और पंडित गुरुदत्त जैसे देशभक्तों और स्वतंत्रता सेनानियों के संपर्क में आए। उन्होंने लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। 1884 में उनके पिता का रोहतक में स्थानांतरण हो गया और लाला लाजपत राय भी उनके साथ रोहतक चले गए।
1886 में उनका परिवार हिसार चला गया, वहां उन्होंने वकालत की। बचपन से ही उनमें अपने देश के लिए प्रेम कूट कूट के भरा था इसीलिए उन्होंने इसे अंगेजो के शासन से मुक्त करने का संकल्प लिया।
1886 में, उन्होंने महात्मा हंसराज को राष्ट्रवादी दयानंद एंग्लो-वैदिक स्कूल, लाहौर की स्थापना में मदद की और दयानंद सरस्वती के अनुयायी बन गए। वह उच्च न्यायालय के समक्ष कानून का अभ्यास करने के लिए 1892 में लाहौर चले गए। राय ने 1895 में पंजाब नेशनल बैंक की नीवं रखी।
लाला लाजपत राय ने देश को आजादी दिलाने में बहुत योगदान दिया। धीरे-धीरे, लाजपत राय ने Law Practice को कम कर दिया और देश को अंग्रेजों से मुक्त करने के अपने सभी प्रयासों को केंद्रित कर दिया। 1897 में, उन्होंने ईसाई मिशनों को बच्चों की कस्टडी हासिल करने से रोकने के लिए हिंदू अनाथ राहत आंदोलन की स्थापना की। अक्टूबर 1917 में न्यूयॉर्क में Indian Home Rule league of America की स्थापना उनके द्वारा की गयी।
1920 में, वे अमेरिका से लौट आये। उसके बाद, लाजपत राय को कलकत्ता में कांग्रेस के एक विशेष सत्र की अध्यक्षता करने के लिए आमंत्रित किया गया था। वह असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए, जो रॉलेट एक्ट के जवाब में शुरू किया जा रहा था। इस आंदोलन का नेतृत्व पंजाब में लाजपत राय ने किया था और वह जल्द ही “पंजाब केसरी” (पंजाब के शेर) के रूप में जाने जाने लगे।
एक महान स्वतंत्रता सेनानी और नेता होने के साथ-साथ लाला लाजपत राय एक प्रसिद्ध लेखक भी थे।
Young India
England’s Debt to India
The Political Future of India
Unhappy India
Arya Samaj
The problem of National Education in India
The Story of My Life – आत्मकथा
And many more
उन्होंने पत्रकारिता का भी अभ्यास किया और स्वतंत्रता प्राप्त करने की दिशा में भारत की राजनीतिक नीति को आकार देने के लिए द ट्रिब्यून सहित कई समाचार पत्रों में नियमित योगदान दिया। 1914 में, उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए खुद को समर्पित करने के लिए law की practice को छोड़ दिया।
1920 के कलकत्ता विशेष सत्र में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। 1921 में, उन्होंने सर्वेंट्स ऑफ़ द पीपल सोसाइटी, एक गैरNGO की स्थापना की। उनका विचार था कि हिंदू समाज को जाति व्यवस्था, महिलाओं की स्थिति और अस्पृश्यता के साथ अपनी लड़ाई खुद लड़ने की जरूरत है। लाला लाजपत राय का मानना था कि सभी को वेद पढ़ने और सीखने की अनुमति दी जानी चाहिए, चाहे उनकी जाति या लिंग कुछ भी हो। लाला जी गाय व अन्य पशुओं के मरे जाने को लेकर भी चिंतित रहते थे। उन्होंने एक बार कहा भी था कि
“जब से गायों और अन्य जानवरों की क्रूर हत्या शुरू हुई है, मुझे आने वाली पीढ़ी के लिए चिंता है।“
30 अक्टूबर 1928 को साइमन कमीशन लाहौर आया। लाजपत राय ने इसके खिलाफ एक अहिंसक और शांतिपूर्ण मार्च का नेतृत्व किया और प्रदर्शनकारियों ने काले झंडे हाथ में लेकर एक जलूस निकाला। लाला lajpat rai का नारा था
;”Simon Go Back”
इस मार्च में जेम्स ए स्कॉट ने पुलिस को प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करने का आदेश दिया। स्कॉट ने स्वयं व्यक्तिगत रूप से उनके सीने पर हमला किया।
घायल होने पर भी उन्होंने जनता को संबोधित किया और कहा कि
“मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी”
लालाजी के बलिदान के कुछ समय बाद ही, 15 August, 1947 को ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य हमेशा के लिए अस्त हो गया।
लाला लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हो गए और कभी भी पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं हो पाए। 17 नवंबर, 1928 को चोटों की वजह से ही उनकी मृत्यु हो गई।
लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह और क्रन्तिकारी साथियों ने स्कॉट को मारने की साजिश रची। लेकिन, जेपी सॉन्डर्स, एक सहायक पुलिस अधीक्षक, को स्कॉट समझकर उसे मार डाला।
लाला लाजपत राय जी का statue आज भी शिमला, हिमाचल प्रदेश में है जिसे कि पार्टीशन के समय लाहौर से shift किया गया था। उनकी 100th birth anniversary par एक trust fund बनाया गया था।
उनके नाम से कई Institute भी चल रहे है जैसे कि
मुंबई में Lala Lajpatrai College of Commerce and Economics है
Lala Lajpat Rai Memorial Medical College, Meerut
1998 में Lala Lajpat Rai Institute of Engineering and Technology, Moga.
2010 में, Government of Haryana ने उनके नाम से हिसार में Lala Lajpat Rai University of Veterinary & Animal Sciences की स्थापना की।
उनका घर आज भी Jagraon में है और इसमें एक पुस्तकालय और संग्रहालय है। गृहनगर Jagraon में कई बस टर्मिनल, institutes, schools और libraries का नाम उनके सम्मान में रखा गया है, जिसमें प्रवेश द्वार पर उनकी प्रतिमा के साथ एक बस टर्मिनल भी शामिल है। इसके अलावा, भारत के कई महानगरों और अन्य शहरों में उनके नाम पर कई सड़कें हैं।
Lajpat Nagar and Lajpat Nagar Central Market in New Delhi;
Lala Lajpat Rai square with his statue in Hisar;
Lajpat Nagar and Lajpat Nagar Central Market in New Delhi;
Lala Lajpat Rai memorial park in Lajpat Nagar;
Lajpat Rai Market in Chandani Chowk, Delhi;
Lala Lajpat Rai Hall of Residence at Indian Institutes of Technology (IIT) in Kharagpur;
Lala Lajpat Rai Hospital in Kanpur;
लाला lajpat rai जी ने आज़ादी प्राप्त करने के स्वतंत्रता संग्राम में अपना अनूठा योगदान दिया। जिसके लिए उन्होंने अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए। मेरा लाला lajpat rai जी को शत शत नमन।